
एक अच्छा शिल्पकार किसी भी प्रकार के पत्थर को तराश कर उसे सुन्दर आकृति का रुप दे देता है। किसी भी सुन्दर मूर्ति को तराशने में शिल्पकार की बड़ी भूमिका होती है। इसी प्रकार एक अच्छा कुम्हार वही होता है जो गीली मिट्टी को सही आकार प्रदान कर उसे सामाज के लिए उपयोगी बर्तन अथवा एक सुन्दर मूर्ति का रुप दे देता है। यदि शिल्पकार तथा कुम्हार द्वारा तैयार की गयी मूर्ति एवं बर्तन सुन्दर नहीं है तो वह जिस स्थान पर रखे जायेंगे उस स्थान को और अधिक विकृत स्वरुप ही प्रदान ही करेंगे। शिल्पकार एवं कुम्हार की भँाति ही स्कूलों एवं उसके शिक्षकों का यह प्रथम दायित्व एवं कर्तव्य है कि वह अपने यहँा अध्ययनरत् सभी बच्चों को इस प्रकार से संवारे और सजाये कि उनके द्वारा शिक्षित किये गये सभी बच्चे विश्व का प्रकाश बनकर सारे विश्व को अपनी रोशनी से प्रकाशित कर सकें। इस प्रकार शिक्षक उस शिल्पकार या कुम्हार की भँाति होता है जो प्रत्येक बालक को समाज की आवश्यकताओं के अनुरुप, एक सुन्दर आकृति का रुप प्रदान कर, उसे समाज का प्रकाश अथवा उसे विकृत रुप प्रदान कर समाज का अंधकार बना सकता हैै।
शुभकामनाओं सहित.............................
S.K. Sharma (Vice Principal)